मोबाइल फोन का आविष्कार मानव जाति के लिए वरदान साबित हुआ है. आसानी से मिलने वाले इंटरनेट के साथ यह फोन सूचना मनोरंजनऔर लेनदेन का जरिया बन गया है, लेकिन फायदा के साथ-साथ यह डिजिटल डिवाइसकई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार हैं. आजकल लोग अपनी स्क्रीन से चिपके रहते हैं और सोशल मीडिया पर नॉन-स्टॉप स्क्रोलिंग करते हैं इससे उन्हें आंखों की समस्या, नींद में खलल और गर्दन दर्द जैसी परेशानियां हो सकती है.
डंबफोन क्यों चुन रहे हैं युवा ?
मोबाइल फोन की लत से बचने लिए आजकल नौजवान पुराने जमाने के विकल्पों यानी डंबफोन पर स्विच कर रहे हैं. मोबाइल फोन के बेसिक मॉडल होते हैं दिन में स्मार्टफोन की एडवांस फीचर्सन हीं होती है. 2000 के दशक की शुरुआत में इस्तेमाल किए जाने वाले यह डिवाइस सिर्फ कॉल करने और मैसेज भेजने का काम करते थे. इनमें कोई हाईटेक गेम, सोशल मीडिया App या दूसरी एडिक्शन App नहीं होती थीं. सीएनबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक सोशल मीडिया से बचने के लिए इन डंबफोन को चुन रहे हैं. असल में अमेरिका के रिटेलर्स ने इन बेसिक फोन मॉडल की डिमांड में अचानक बढ़ोतरी देखी है क्योंकि ग्राहक कम ध्यान भटकाने वाला डिवाइस ढूंढ रहे हैं.
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में हुआ खुलासा
हाल ही में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में पता चला है कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स का इस्तेमाल करने से दिमाग का वही हिस्सा सक्रिय होता है, जो किसी भी नशे की किस चीज लेने से एक्टिव होता है. फोन इस्तेमाल करने की आदतों को इस तरह से समझने से युवाओं में चिंता बढ़ गई है. बीबीसी ने रिपोर्ट में बताया है कि सोशल मीडिया कुछ मिस हो जाने (FOMO) का डर बना रहता है, इसीलिए इसे छोड़ने से डरते हैं. जब इंस्टाग्राम डाउनलोड किया तो सब कुछ जैसे गड़बड़ हो गया.
उसने आगे बताया कि उसने अपना स्मार्टफोन बदलकर एक साधारण डंबफोन ले लिया. अब वह सिर्फ मैसेज कॉल लोकेशन देखने और दूसरे बेसिक कामों के लिए ही फोन इस्तेमाल करता है. जहां पहले वह 4-5 घंटे स्क्रीन पर बताता था, वहीं अब उसका फोन इस्तेमाल सिर्फ 20 मिनट का रह गया है. “ये अच्छी बात है क्योंकि मैं फोन का इस्तेमाल सिर्फ जरूरत के लिए ही करता हूं.”